Pagli gayi guru ko bhul by kusum chauhan
पगली गयी गुरु को भूल
झूल गयी बेटे पोतो में
के उलझ गयी बेटे पोतो में
हो रही दिन भर मारा मार
याद तेरे गाये भैंस की धार
तू रेहवे याद मूल और ब्याज
झूल गयी बेटे पोतो में
के उलझ गयी बेटे पोतो में
मेरी बहु तो चैन से सोली
तेरे कंधे पोता पोती
पगली हो रही धूलम धुल
झूल गयी बेटे पोतो में
उलझ गयी बेटे पोतो में
करती हाय माया हाय माया
धूपं में काली पद गयी काया
सारी ढीली पड गयी चूड
उलझ गयी बेटे पोतो में
भूली भजन मौज़ और मस्ती
खोवे जीवन कुशल फज़ूल
उलझ गयी बेटे पोतो में
पगली गयी गुरु को भूल
झूल गयी बेटे पोतो में
के उलझ गयी बेटे पोतो में