Sita Swayamvar bhajan lyrics siya khele janak darbar baras bhayi sat ki lyrics
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
एक दिन सिया जी ने चौका (रसोई) लगाया
बायें हाथ से धनुष उठाया
मेरी सिया ने दिया सरकाये बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
बहार से राजा जनक जो आये
आज का चौका रानी किसने लगाया
ये तो बड़े गजब की बात बरस भई सात की
लाडो खेले जनक दरबार बरस भई सात की
राजा जनक ने वचन उठाया
जो कोई इस धनुष को तोड़े
वो ही ले जाये मेरी जानकी बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
राजा जनक ने सभा बुलाई
बड़े बड़े राजा सभा में आएं
राम लखन गुरुदेव भी आये
वहाँ सभा हो रही आज बरस भई सात की
सीता खेले जनक दरबार बरस भई सात की
बड़े बड़े राजा धनुष उठाते
धनुष को देखो हिला न पाते
सब मन में रहे सकुचाये बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
माला लेकर सीता आयीं
राम चंद्र से मन में बतलई
तोड़ो धनुष जय माला डालू
मैं तो कबसे खडी हूँ आज द्वार
बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
राम चंद्र जी ने धनुष उठाया
धनुष को देखो आज है तोडा
मात पिता की आज्ञा पायी
देखो माला को डाले सिया आज बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की
यहाँ राम चंद्र का ब्याह है बरस भई सात की
सिया खेले जनक दरबार बरस भई सात की