घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
रहा न मूरख आपे में, रहा न मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
खूब चलाये काले धंदे करम करे लालच में गंदे
अरे तू तो भूल गया भगवन, रहा न मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
जाल बिछाए न्यारे न्यारे ठग लिए तन्ने सब न्यारे प्यारे
तन के बैठ गया रे धनवान रहा न मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
अँधा हो गया लोभ काम में मैं न लाया हरी के नाम में
लिया न सतगुरुजी से ज्ञान रहा न मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में
ज्ञान का सागर गुरु जी के पास लोभ छोड़ दे मोह जंजाल
बन्दे लेले गुरु से ज्ञान रहा ना मूरख आपे में
घमंड मै डूब गया रे इंसान रहा न मूरख आपे में