
बोल सतगुरुदेव भगवान की जय
अरे बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
अरे बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
जोड़त रहे जन्म भर माया
धूप छाव में खूब कमाया
फिर भी न पार पड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
साधु संत की सेवा करी ना
मात पिता की कदर करी ना
कभी दान करि न कमदी
बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
बालापन से आया बुढ़ापा
थर थर गात मेरा सब काँपा
विपिता एक से एक बढ़ी
बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी
बन के बैल मैंने खूब कमाया
नहीं समय पे भोजन खाया
माला जपि न एक घड़ी
बन बन के बिगड़ी कन्हैया मेरी बन बन के बिगड़ी