आज उदासी मीरा क्यों खडी
आज उदासी मीरा क्यों खडी।
तेरे आवे कन्हैया लणिहार भक्ति की लावे चुंदड़ी।
आज उदासी मीरा क्यों खडी।
चारों पंथ तो मीरा ज्ञान के।
तेरी बीच में बारिश की फुहार,भक्ति की लावे चुंदड़ी।
आज उदासी मीरा क्यों खडी।
इस ये चुनरी में मीरा दाग नहीं से।
मीरा धर्म की लंपी रखियो सार,भक्ति की लावे चुंदड़ी।
आज उदासी मीरा क्यों खडी।
इस ये चुनरी में मीरा नूर भरया से।
मीरा जुड जागे इस से तेरे तार,भक्ति की लावे चुंदड़ी।
आज उदासी मीरा क्यों खडी।