Pagli gyi guru ko bhul || पगली गयी गुरु को भूल || कुसुम चौहान Lyrics



Pagli gayi guru ko bhul by kusum chauhan 

पगली गयी गुरु को भूल 
झूल गयी बेटे पोतो में 
के उलझ गयी बेटे पोतो में


हो रही दिन भर मारा मार 
याद तेरे गाये भैंस की धार
तू रेहवे याद मूल और  ब्याज 
झूल गयी बेटे पोतो में 
के उलझ गयी बेटे पोतो में


मेरी बहु तो चैन से सोली 
तेरे कंधे पोता पोती 
पगली हो रही धूलम धुल 
झूल गयी बेटे पोतो में 
उलझ गयी बेटे पोतो में


करती हाय माया हाय माया 
धूपं में काली पद गयी काया 
सारी ढीली पड गयी चूड 
उलझ गयी बेटे पोतो में


भूली भजन मौज़ और मस्ती
खोवे जीवन कुशल फज़ूल 
उलझ गयी बेटे पोतो में
पगली गयी गुरु को भूल 
झूल गयी बेटे पोतो में 
के उलझ गयी बेटे पोतो में






  

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