LYRICS
लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
एक दिन सोचा था व्रत करुँगी
में तो हलवा पूरी खा गयी रे
में तो पिज़्ज़ा चौमिन खा गयी रे
लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
एक दिन सोचा था सत्संग सुनूंगी
में तो ओढ़ रजाई सो गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
एक दिन सोचा था कीर्तन करुँगी
में तो चुगली चोपती में फास गयी रे
में तोतरि मेरी में फस गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
एक दिन सोचा था तीरथ करुँगी
में तो मूल और ब्याजों में फस गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे
लुट गयी लुट गयी लुट गयी रे
ज़िंदगानी भजन बिन लुट गयी गयी रे