LYRICS
ऐसी बजाओ जैसे व दिन बजायी थी
काहे की मटकिया कहे से भराई थी
किसके थे लाल जिसने फोड़ के दिखाई थी
माटी की मटकिया माखन से भराई थी
यशोदा जी के लाल जिसने फोड़ के दिखाई थी
ऐसी बजाओ जैसे व दिन बजायी थी
काहे की मुरलिया कहे से जड़ाई थी
किसके थे लाल जिसने गाये के सुनाई थी
बांस की बसुरिया रेशम से जड़ाई थी
यशोदा जी के लाल जिसने गाये के सुनाई थी
कहाँ की गुजरिया कहाँ से वो आयी थी
किसके थे लाल जिसने छेड़ के दिखाई थी
बरसाने की गुजरिया वृन्दावन में आयी थी
यशोदा जी के लाल जिसने छेड़ के दिखाई थी