LYRICS
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
ये भोजन क्यों बनाये है
इन्हे हम खा नहीं सकते
खिला दो मात केकयी को
जिन्होंने राम वन भेजे
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
ये लोटे क्यों भराये है
जिन्हे हम पी नहीं सकते
पिलो दो मात केकयी को
जिन्होंने राम वन भेजे
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
ये बीड़े क्यों लगाए है
जिन्हे हम चाब नहीं सकते
चबा दो मात केकयी को
जिन्होंने राम वन भेजे
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
ये बिस्तर क्यों लगाए है
जिनपे हम सो नहीं सकते
सुला दो मात केकयी को
जिन्होंने राम वन भेजे
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
ये चौपड़ क्यों लगायी है
जिन्हे हम खेल नहीं सकते
खिला दो मात केकयी को
जिन्होंने राम वन भेजे
भरत को राम मिले वन में
ख़ुशी हुई दोनों के मन
नगर का हाल बता भैया
मात का हाल बता भैया
पिता तो स्वर्ग लोक धाए
मात महलो में रोती है
भरत ननिहाल से लौटे
पिता का शोक भारी है
Thank yo mam gana aa gaya