LYRICS
मुझे माँ से गिला,
मिला ये ही सिला
बेटिया क्यों परायी हैं
मेरी माँ
खेली कूदी मैं जिस आँगन में,
वो भी अपना पराया सा लागे
ऐसा दस्तूर क्यों है माँ,
जोर किसका चला इसके आगे
एक को घर दिया, एक को वर दिया,
तेरी कैसी विदाई है
मुझे माँ से गिला
जो भी माँगा मैंने बाबुल से,
दिया हस के मुझे बाबुल ने
प्यार इतना दिया है मुझको
क्या बयान मैं करू अपने मुख से
जिस घर में पली, उस घर से चली
यह कैसी बिदाई है
मुझे माँ से गिला
अच्छा घर सुन्दर वर देखा माँ ने
क्षण में कर दिया उनके हवाले
जिंदगी भर का यह है बंधन
कह के समझाते हैं घर वाले
देते दिल से दुया, खुश रहना सदा,
कैसी प्रीत निभायी है
मुझे माँ से गिला
अच्छा तो मई अब चलती हु
अब तो जाना पड़ेगा मुझको
गलतियां माँ माफ़ करना मेरी
थोड़ा सहना पड़ेगा मुझको
अच्छा चलती हु माँ अब गले से लगा
बेटिंया तो परायी है