LYRICS
सत्संग बिन मेरा जी ना लगे
कागज की नाव पानी में तरे
मेरे जीवन की नाव सत्संग से तरे
बागों के फूल पानी से खिलें
मेरे हृदय का फूल सत्संग से खेलें
कपड़े की मैल साबुन से धुले
मेरे हृदय की मैल सत्संग की धुले
चूल्हे की आग पानी से बुझे
मेरे हृदय की आग सत्संग से बुझे
कमरे का ताला चाबी से खुले
मेरे हृदय का टाला सत्संग से खुले