LYRICS
अरे एक दिल्ली शहर बाजार
कसाई खाना खुल गया रे
अरी गौ माता करे पुकार
मेरी तो कोई जान बचाईयो जी
अरे मैंने चलता रथ रुकवाया
गौ का मोल चुकाया री
अरी वाने रुपया मांगे 7
गले को हरवा मांगो री
अरे मैंने हरवा दिया उतार
गाय की जान बचाई री
अरी में पहुंची ससुर दरबार
सास ने पीढ़ा डालो रे
अरे मैंने मुड़ तुड़ दाबे पैर
नजर हरवा पे पढ़ गई जी
अरे बहू बड़े घर आ की थी
हरवा कहां है छोड़ो जी
अरी सासु दिल्ली शहर बाजार
कसाई खाना खुल गया जी
अरे गो माता करें पुकार
मेरी तो कोइ जान बचाइए जी
अरी सासु चलता ही रथ रुकवाया
गऊ का मोल कराया जी
अरी वाले रुपया मांगे 7
गले को हरवा मांगो जी
सासू जी मैंने हरवा दीया उतार
गऊ की जान बचाई जी
अरी बहू जिए तेरा परिवार हरवा
तो तोकू और गढाय दूँजी