LYRICS
दो अंधे मेरे मात पिता है मेरी चतुर है नार मेरे श्रवण बेटा
एक हंडिया दो पेट बनाया एक हंडिया में खट्टी लस्सी
एक हंडिया रस खीर मेरे श्रवण बेटा
पहला थाल परोसा श्रवण को जाए
जीमाए माई बाप मेरे श्रवण बेटा
ऐसी खीर बीटा कभी न खाई जैसी खाई आज मेरे।
खीर माता रोज बनेगी तुमसे क्या दुहात मेरे। …..
जब श्रवण ने हांड़ी देखी एक हांड़ी दो पेट मेरे श्रवण बेटा ……
मात पिता कंधे पे रख लिए छोड़ दिआ घर बार [चाल पड़े वनवास ] मेरे। ….
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चलत चलत बेटा पैर दुःख गए पानी तो पिलादो मेरे लाल श्रवण बेटा
न माता यहां कुआँ रे बावली न यहाँ सरवर ताल मेरे श्रवण बेटा ….
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यहां तो रे बेटा दशरथ बसे है यहाँ दशरथ के ताल मेरे श्रवण बेटा
ले के लोटा श्रवण चाला जहां भरा जल नीर मेरे श्रवण बेटा
उठा बाण दशरथ ने मारा श्रवण दिआ मार मेरे। …
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दो अंधे मेरे मत पिता है पानी तो पिलादो मेरे भाई मेरे। …
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लेके लोटा श्रवण चाला पानी तो पीओ माई बाप मेरे। ….
न श्रवण की बोली तेरी न श्रवण के हाथ मेरे। ….
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तेरा लाल बहना हमने मारा गलती से लग गया बान मेरे। ..
तूने तो दशरथ हमे तरसाया तुझे तरसावे भगवान मेरे श्रवण। ….
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तूने तो मेरा एकला मारा तेरे बिछड़ेंगे चार मेरे श्रवण बेटा